काबुल: अशरफ गनी की सरकार को हटाने के बाद साल 2021 में तालिबानी अफगानिस्तान की सत्ता में आए थे। तालिबान का दावा था कि वह देश में स्थिरता को लाएंगे और आतंकवाद को खत्म करेंगे। करीब 3 साल बाद अब तालिबान के अंदर आंतरिक कलह तेज होती जा रही है। गत 21 अगस्त को अफगानिस्तान में एक बेहद सख्त नैतिकता कानून को मंजूरी दी गई। इसके तहत मीडिया, म्यूजिक, सार्वजनिक जगहों और ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं। महिलाओं के सार्वजनिक रूप से तेज आवाज में गाना गाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। विश्लेषकों का कहना है कि यह तालिबान की ओर से आया यह फरमान पुराने तालिबानी नेताओं के सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कोशिश है।
इस कानून के बाद अफगानिस्तान में कड़ा विरोध किया गया और हालत यह हो गई कि तालिबान के सुप्रीम लीडर मुल्ला हैबतुल्ला को सभी से मतभेद को भुलाकर एकजुट रहने की अपील करनी पड़ी। विश्लेषकों का कहना है कि तालिबानी सरकार का यह आदेश दिखाता है कि तालिबानी नेतृत्व के बीच में तनाव बढ़ रहा है। अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद कुछ तालिबानी नेताओं ने दुनिया को यह दिखाने की कोशिश की थी कि वे पुराने कट्टर तालिबानी नेताओं की तुलना में उदार रुख रखते हैं।
कट्टर तालिबानी हो गए मजबूत
इन नए तालिबानी नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के साथ हां में हां मिलाया और स्पष्ट किया कि अंतरराष्ट्रीय सपोर्ट हासिल करने के लिए उसकी इच्छा है कि कट्टरपंथी नीतियों में बदलाव किया जाए। साथ ही नई तालिबान सरकार को वैधानिकता दिलवाई जाए। हालांकि जब अंतरिम कैबिनेट का गठन हुआ तो उससे साफ हो गया कि कट्टर सोच रखने वाले पुराने तालिबानी हार मानने को तैयार नहीं हैं। हालत यह हो गई कि इस अंतरिम सरकार में सभी जातीय गुटों को जगह नहीं दी गई। यही नहीं पुराने कट्टर तालिबानियों को प्रमुख मंत्रालय दिए गए। इसमें मुल्ला मोहम्मद हसन अखुंद शामिल है जिसे पीएम बनाया गया है।
तालिबान के सह संस्थापक मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को डेप्युटी पीएम और तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री बनाया गया। अफगानिस्तान की नई सरकार जब आई तब उसके सामने देश को बर्बाद होने से बचाना था। तालिबान चीफ अखुंदजादा ने अपना ठिकाना राजधानी काबुल की बजाय कंधार को बना लिया जो सत्ता का एक और केंद्र बन गया। उसने खुद को तालिबानी सरकार के राजनीतिक, सैन्य और धार्मिक मामलों का प्रमुख बना लिया।
हक्कानी चीफ ने किया विरोध
मार्च 2022 में अखुंदजादा ने ऐलान किया कि लड़कियों और महिलाओं को स्कूल और यूनिवर्सिटी जाने पर बैन लगाया जाता है। उसने सत्ता अपने हाथ में लेने की कोशिश की है जिससे पुराने तालिबानी नेताओं की पकड़ मजबूत हो गई। इस बीच अफगानिस्तान के गृहमंत्री और शक्तिशाली हक्कानी नेटवर्क के मुखिया सिराजुद्दीन हक्कानी ने खुलकर अखुंदजादा का विरोध कर दिया। हक्कानी ने कहा कि शक्ति पर एकाधिकार और पूरे तंत्र की साख पर चोट करना हमारे फायदे में नहीं है। इस हालात को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हक्कानी ने यूएई की यात्रा की और उसकी मंजूरी अखुंदजादा से नहीं ली। इससे कंधार बनाम काबुल की तकरार बढ़ती जा रही है।