पूर्व रेसलर योगेश्वर दत्त ने कहा है कि विनेश फोगाट को देश से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उनके कारण पेरिस ओलिंपिक में भारत को एक मेडल का नुकसान हुआ है।
41 साल के दत्त ने एक शो में कहा- 'अगर मैं विनेश की जगह होता, तो देश से माफी मांगता कि मैं अपना वेट कम नहीं कर सका, लेकिन उनका स्वागत हो रहा है। ऐसा कहा जा रहा है कि विनेश के साथ गलत हुआ।'
विनेश पेरिस ओलिंपिक में ओवरवेट होने के कारण अयोग्य घोषित हो गई थीं। उन्हें फाइनल में पहुंचने के बावजूद मेडल गंवाना पड़ा था। टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं, जबकि दत्त BJP से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार उन्हें टिकट नहीं मिला है। उन्होंने लंदन ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल दिलाया था।
राजनीति और रेसलिंग पर योगेश्वर दत्त के बयान
1. राजनीति में जाना व्यक्तिगत फैसला
योगेश्वर ने कहा कि राजनीति में जाना व्यक्तिगत फैसला है, लेकिन देश को सच पता लगना चाहिए। जो पिछले एक साल में हुआ, चाहे ओलिंपिक में डिसक्वालिफाई होना हो या पहलवानों का जंतर-मंतर पर आंदोलन, इससे इंडिया की गलत छवि बनाई गई और पूरी दुनिया में उसका गलत तरीके से प्रचार किया गया।
2. मेडल गंवाने पर भी स्वागत, गलत धारणा बनाई गई
योगेश्वर ने कहा कि जंतर-मंतर पर आंदोलन के बारे में गलत जानकारी देकर लोगों को बुलाया गया। ये पूरी तरह से गलत था। देश का एक मेडल का नुकसान करने के बाद भी यही परसेप्शन बनाया गया कि विनेश के साथ गलत हुआ। अगर मैं विनेश की जगह होता तो पूरे देश से माफी मांगता कि मैं अपना वेट कम नहीं कर सका, लेकिन यहां तो स्वागत हो रहा हैं।
3. राजनीति की तुलना में रेसलिंग आसान
एक सवाल के जवाब में योगश्वर ने कहा कि रेसलिंग आसान है, क्योंकि राजनीति के खेल में आपकी उम्र बीत जाएगी, लेकिन आप राजनीति नहीं सीख सकते। लोगों से झूठ बोलना और उन्हें धोखा देना राजनीति में सबसे गलत बात है।
योगेश्वर दत्त ने कहा, राजनीति में सिर गिने जाते हैं, लेकिन कुश्ती में आपका बल काम करता है। राजनीति में आकर आपको पता लगता है कि कौन साथ है, कौन नहीं। ऐसे लोग भी आगे बढ़ते हैं जिनका कोई वजूद नहीं है।
विनेश 100 ग्राम ओवरवेट होने के बाद डिसक्वालिफाई हुई थीं
विनेश फोगाट को पेरिस ओलिंपिक में फाइनल से पहले 100 ग्राम ओवरवेट होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया था। फिर उन्होंने इसके खिलाफ CAS में अपील की, लेकिन अपील खारिज कर दी गई थीं। 50 kg वेट कैटेगरी में लगातार तीन मुकाबले जीतकर फाइनल में पहुंच गई थीं। वे ओलिंपिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर बनी थीं।