नई दिल्ली. रियल एस्टेट पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के नियमों में बदलाव के लिए जीएसटी काउंसिल द्वारा गठित मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने हाल ही में कई सिफारिशें दी हैं. इनमें किफायती आवास की परिभाषा का विस्तार और लक्जरी आवास पर अतिरिक्त कर लगाने जैसे प्रस्ताव शामिल हैं.
जीओएम का मानना है कि वर्तमान में 45 लाख रुपये तक के आवास को किफायती श्रेणी में रखा गया है, जिसे बढ़ाकर 55 लाख रुपये किया जाना चाहिए. यदि जीएसटी काउंसिल इस प्रस्ताव को मंजूरी देती है, तो किफायती आवास क्षेत्र को बड़ी राहत मिल सकती है. वर्तमान में किफायती आवास परियोजनाओं पर 1% जीएसटी लागू होता है, जबकि अन्य आवासीय परियोजनाओं पर 5% जीएसटी लगाया जाता है. हालांकि, दोनों मामलों में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की सुविधा नहीं है.
लक्जरी आवास पर बढ़ सकता है टैक्स
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की अध्यक्षता में सात सदस्यीय जीओएम ने सुझाव दिया है कि 15 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य वाले लक्जरी आवास पर कर दर में वृद्धि की जाए. यह प्रस्ताव उच्च मूल्य वाली संपत्तियों पर अतिरिक्त कर लगाने के उद्देश्य से किया गया है, जिससे सरकारी राजस्व में वृद्धि हो सके.
जॉइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट (जेडीए) पर जीएसटी राहत से इनकार
जीओएम के सदस्यों ने जॉइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट (जेडीए) में जीएसटी के तहत किसी भी प्रकार की राहत देने के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है. उद्योग के अनुरोध के बावजूद जीओएम ने जेडीए पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा देने का प्रस्ताव खारिज किया है. जीओएम के एक सदस्य ने बताया, “किफायती आवास की परिभाषा को बढ़ाने पर आम सहमति थी, हालांकि अधिकांश सदस्य जेडीए पर जीएसटी में राहत के खिलाफ थे.”
रिपोर्ट का संभावित सबमिशन और जीएसटी काउंसिल का निर्णय
जीओएम की यह बैठक गोवा में पिछले सप्ताह हुई थी, और संभावना है कि अगले जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले अपनी रिपोर्ट जमा कर दी जाएगी. जीएसटी काउंसिल की यह बैठक नवंबर के दूसरे सप्ताह में होने की उम्मीद है. अंतिम निर्णय जीओएम की सिफारिशों के आधार पर ही लिया जाएगा.
इस सात सदस्यीय जीओएम में गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल, महाराष्ट्र की जीएसटी काउंसिल प्रतिनिधि अदिति तटकरे, पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा और गुजरात के वित्त मंत्री कनुभाई मोहनलाल देसाई शामिल हैं.
किफायती आवास की परिभाषा का मौजूदा प्रावधान
फरवरी 2019 में हुई 33वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में किफायती आवास की परिभाषा तय की गई थी. इसके अनुसार, गैर-महानगरीय क्षेत्रों में 90 वर्ग मीटर और महानगरीय क्षेत्रों में 60 वर्ग मीटर कारपेट एरिया तक के फ्लैट, जिनकी कीमत 45 लाख रुपये तक है, किफायती आवास की श्रेणी में आते हैं. महानगरीय क्षेत्रों में बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर (दिल्ली, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुड़गांव और फरीदाबाद), हैदराबाद, कोलकाता और मुंबई शामिल हैं.
जेडीए और लीजहोल्ड पर जीएसटी का रुख
जीओएम ने संयुक्त विकास परियोजनाओं पर जीएसटी में बदलाव के अनुरोध को खारिज कर दिया है और 1 अप्रैल 2019 के बाद से जेडीए पर इनपुट टैक्स क्रेडिट की सुविधा देने के प्रस्ताव का विरोध किया है.